आज के डिजिटल युग में आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस (AI) हमारी ज़िंदगी का हिस्सा बन चुका है — लेकिन इसके साथ ही दुरुपयोग की घटनाएं भी बढ़ रही हैं:
- Deepfake वीडियो बनाकर अफवाह फैलाना
- किसी की आवाज़ या चेहरा नकली बनाकर भ्रमित करना
- चैटबॉट्स से नफरत या हिंसा भड़काना
- Bot अकाउंट्स से चुनावों को प्रभावित करना
- AI से जनरेटेड फेक न्यूज़
इन सबके बीच यह जानना ज़रूरी है कि भारत में कानून क्या कहता है?
IT एक्ट 2000: भारत का साइबर लॉ
भारत का Information Technology Act, 2000 (IT Act) डिजिटल दुनिया का मुख्य कानून है। इसमें AI सीधे शब्दों में नहीं है, लेकिन इसके दुरुपयोग को कवर करने के लिए कई धाराएं मौजूद हैं:
Section 66D –
किसी संचार माध्यम से झूठी पहचान बनाकर धोखाधड़ी करना।
Section 66E –
किसी की प्राइवेट तस्वीर/वीडियो को बिना अनुमति के इस्तेमाल करना।
Section 67 –
अश्लील, अपमानजनक या आपत्तिजनक कंटेंट का ऑनलाइन प्रकाशन — इसमें Deepfake शामिल हो सकता है।
Section 43A –
किसी की जानकारी का गलत तरीके से संग्रहण या लीक होना — AI सिस्टम से डेटा चोरी होने पर लागू हो सकता है।
IT Rules 2021: डिजिटल प्लेटफॉर्म्स के लिए कड़े नियम
Intermediary Guidelines & Digital Media Ethics Code Rules, 2021 के अनुसार:
Due Diligence
YouTube, Meta, Telegram, आदि को यह देखना होगा कि उनके प्लेटफॉर्म पर Deepfake या गलत AI कंटेंट न फैले।
Grievance Redressal
अगर कोई व्यक्ति शिकायत करे कि उसकी फोटो या वॉयस का गलत AI उपयोग हुआ है — तो उसे हटाने का तंत्र अनिवार्य है।
Traceability Norms
सरकार संदिग्ध कंटेंट के ओरिजिन की जानकारी मांग सकती है।
डिजिटल एथिक्स: पत्रकार और क्रिएटर क्या ध्यान रखें?
- AI टूल्स से बना कंटेंट प्रकाशित करने से पहले उसे फैक्ट-चेक करें।
- Deepfake को ‘मजाक’ न समझें — यह कानूनी अपराध है।
- यदि AI कंटेंट है तो “AI Generated” का डिस्क्लेमर ज़रूर लगाएं।
- किसी की पहचान, धर्म, लिंग या जाति को लेकर AI का प्रयोग न करें।
AI जिम्मेदार हो सकता है?
AI कोई जादू नहीं, इसे इंसान ट्रेन करता है।
अगर AI से कुछ गलत होता है, तो जिम्मेदार वह इंसान होगा, जिसने उसे बनाया, इस्तेमाल किया या फैलाया।
इसीलिए भारत में जल्द ही एक “AI Regulation Law” की ज़रूरत महसूस हो रही है।
डॉ. तरुणा एस. गौड़, मीडिया विशेषज्ञ