लीड इंडिया पब्लिशर्स एसोसिएशन ने हाल ही में डीएवीपी में जारी भ्रष्टाचार का खुलासा करते हुए बताया था कि किस तरह अफसर और बाबू डीएवीपी में कमीशनखोरी का धन्धा चाला रहें हैं। इस खबर को लीपा ने अपने सभी सदस्यों को प्रकाशित करने के लिये मेल द्वारा भेजा। आपको बताते हुये खुशी हो रही है कि लीपा की इस खबर के बाद डीएवीपी में कई डायरेक्टर और कैम्पेन अधिकारियों के तबादले हुए हैं। कुछ अफसरों को डीएवीपी के बाहर तक तबादला करके भेजा जा चुका है। इस तबादले के
सम्बध में लीपा के पास उनके इंटरनल सर्कुलर के डॉक्युमेंटस मौजूद हैं। लेकिन हमारा उद्देश्य उनके तबादले से पूरा नहीं होता, लीपा क्षेत्रिय समाचारपत्रों के लिये ‘विशेष’ और ‘पारदर्शी’ नीति का निर्माण करवाना चाहती है, जिस पर हम लगातार काम कर रहें हैं।
अपने सभी सदस्यों से इस खबर पर हम फोन पर बात भी कर रहे हैं और हमारे पास देश भर से उनके मेल भी आ रहे हैं, जिनमें मिली जुली प्रतिक्रियाये आ रहीं हैं। काफी सदस्यों और गैर सदस्यों ने मेल करके बताया कि इस खबर के बाद उन्हें विज्ञापन मिला है। कई मेम्बर्स ने यह भी बताया कि वो फरवरी 2015 में डीएवीपी आवेदन कर रहें हैं तो वो डीएवीपी से झगड़ा मोल नहीं लेंगे, कुछ को यह भी भय है कि कहीं उनके अखबार को मिलने वाले इक्का दुक्का विज्ञापन भी बन्द ना कर दिये जायें। इसके अलावा एक और बात सामने आयी है कि कुछ पत्रकार बन्धु और प्रकाशकों में यह भ्रम भी फैलाया जा रहा है कि यह लीपा की अपने निजि स्वार्थ की लड़ाई है जिसमें अखबार वालों और अखबार मालिकों का इस्तेमाल किया जा रहा है।
हम विनम्रता से सभी सदस्यों और अन्य पत्रकार बन्धुओं को यह बताना चाहते हैं कि भ्रष्टाचार के विरूद्ध लड़ाई किसी संस्था की निजि लड़ाई कैसे हो सकती है। संस्था तो हमेशा सार्वजनिक मुद्दो को उठाती है। इसके अलावा जब 2010 में लीपा ने इस लड़ाई की शुरूआत की थी तभी यह निश्चित कर लिया था कि पारदर्शिता बनाये रखने के लिये लीपा डीएवीपी या अखबारों से जुड़ी किसी भी सरकारी समिति का हिस्सा नहीं बनेगी ना ही लीड इंडिया ग्रुप अपने किसी अखबार को डीएवीपी में सूचिबद्ध कराने के लिये आवेदन करेगा।
भ्रष्टाचार के खिलाफ मुहिम खड़ी करने के बदले ‘लीड इंडिया ग्रुप’ ने मुकदमे को भी सहर्ष झेला है। 2010 में जब हमने भ्रष्टाचार के विरूद्ध डीएवीपी में पहली बार आवाज उठाई तब डीएवीपी और देश की दिग्गज अखबार कम्पनी ‘बेनेट कोलमैन जो टाइम्स ऑफ इंडिया जैसे अखबार को चलाती है, ने ‘लीड इंडिया ग्रुप’ और ‘लीड इंडिया पब्लिशर्स एसोसिएशन” को खत्म करने का बीड़ा उठा लिया था। लेकिन सत्य सदैव जीतता है, सच परेशान हो सकता है मर नहीं सकता। ‘लीड इंडिया ग्रुप ने यह मुकदमा मात्र 6 महीनों में जीत लिया। माननीय दिल्ली उच्च न्यायालय ने हमारे खिलाफ लगे सभी मुकदमे खारिज किये।
आज भी लीपा भ्रष्टाचार के खिलाफ लड़ाई और क्षेत्रिय समाचारपत्रों के लिये विषेश विज्ञापन नीति निर्माण के उद्देश्य के साथ कायम है। ‘लीड इंडिया ग्रुप’ में वर्तमान में 6 अखबार प्रकाशित होते हैं, जिनका खर्च चलाना ठीक उसी तरह मुश्किल होता है जैसा बाकी किसी भी प्रकाशक को होता होगा। फिर भी भ्रष्टाचारमुक्त और क्षेत्रिय समाचारपत्रों के हित के लिये पारदर्शी नीति के लिये इतनी कठनाई उठाना कोई बड़ी बात नहीं है, ये तो एक छोटी सी विनम्र आहुति है।
डीएवीपी द्वारा दिये गये प्रस्तावों और प्रलोभनों के बावजूद भी ‘लीड इंडिया ग्रुप’ और ‘लीड इंडिया पब्लिशर्स एसोसिएशन’ ने अपना निर्णय नहीं बदला और क्षेत्रिय समाचारपत्रों के लिये पारदर्शी नीति और भ्रष्टाचार मुक्ति के लिये अपनी लड़ाई जारी रखी है।
एक और बात का भ्रम फैल रहा है कि लीपा सिर्फ वेबसाइट बेचने का काम कर रही है। यह सत्य नहीं है, हम हमेशा सलाह देते हैं कि आप वेबसाइट बनवाइये, ऐसा नहीं कहते कि सिर्फ लीपा से बनवाइये। लेकिन जब फील्ड में प्रकाशको के साथ वेबसाइट बनाने के नाम पर ठगी हुई, उन्हें टेक्नीकली उलझा कर गलत जीज डिलीवर की गई तब लीपा ने तकनीकी सहायता के रूप में यह कार्य शुरू किया। इसके लिये आईटी कम्पनी से करार के तहत लीपा वेबसाइट को बेहद कम खर्च में उपलब्ध कराती है साथ ही अपने सदस्यों को साल भर फ्री ऑफ कॉस्ट मेंटीनेंस भी प्रोवाइड कराती है।
वैसे भी दूरदर्शिता से देखें तो यह बात स्पष्ट है कि आज का युग डिजिटलाइजेशन का युग है। ऑनलाइन एड, ऑनलाइन शॉपिंग का जमाना है जिसका फायदा कारपोरेट प्रायोजित अखबार या समाचार चैनल उठा रहे हैं तो यह नया माध्यम यानि वेबसाइट क्षेत्रिय समाचारपत्रों लिये आय और प्रसिद्धि का एक जरिया क्यों नहीं बन सकता है। वेबसाइट प्रोवाइड करना लीपा के मिशन का हिस्सा है, तकनीकी सहायता है। वेबसाइट आज के वक्त की जरूरत है जो पाठको तक खबरों की पहुंच बिना किसी बाध्यता के बनाती है।
इस विषय पर आपसे अगली बार विस्तार से चर्चा होगी, फिलहाल मुद्दा डीएवीपी में भ्रष्टाचार के खिलाफ लड़ाई का है। हम अपने सभी सदस्यों को यकीन दिलाते हैं कि यदि वो खुलकर सामने नहीं आ पा रहे तब भी लीपा उनके हित की लड़ाई जारी रखेगी। हमने डीएवीपी को इस घोटाले के बाबत जवाब देने के लिये मीटिंग की अनुमति मांगी हैं। इस विषय पर हम आप सभी सदस्यों को फिर सूचित करेंगे। मेरा सभी समाचारपत्र प्रकाशकों और सदस्यों से बस यही निवेदन है कि वो अपनी बात खुले मन से हमसे करते रहें, भ्रम का निर्माण कर लीपा को कमजोर करना विरोधियों की अच्छी रणनीति हो सकती है लेकिन जिस चीज से हम और आप जुड़े हैं उसके आगे कोई रणंनीति काम नहीं करती वो है “विश्वास”, जिसे निभा पाने में लीपा सदैव सफल रही है।
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