“लीपा ने अपने सदस्यों के लिये वेबसाइट की सुविधा प्रदान की है ताकि कम खर्च में प्रकाशक अपने अखबार और पत्रिका को देश दुनिया तक पहुंचा सके साथ ही ई-मार्केटिंग का भी लाभ उठा सकें। कोई भी अखबार छोटा नहीं होता। कई बार देश को हिला देने वाली खबरें बड़े माध्यमों ने लघु समाचार पत्रों से ही ली हैं लेकिन उनका नाम नहीं हुआ। क्योंकि उनके अखबार का प्रसार सीमित था।
इसका उदाहरण अयोध्या मामले में आडवाणी पर चला मुकदमा है, जो एक लघु अखबार की खबर का संज्ञान लेकर चलाया गया था। वेबसाइट के माध्यम से कोई भी अखबार अपनी एक्सक्लुसिव खबर को अपने ही माध्यम से ब्रेक कर सकता है।.
लीपा के सदस्य वेबसाइट बनवा कर इसके लाभ उठा रहे हैं। नई तकनीक को अपना कर अपने अखबार को ग्लोबल बनाने वाले ऐसे ही सदस्यों से लीपा ने बात की और उनके अनुभव जाने। ये अनुभव लीपा आपके समक्ष रखना चाहती है ताकि आप भी इसका लाभ उठा सके।”
लीपा की वेबसाइट बनाने की पहल एक सार्थक कदम: इन्द्रज्ञानादेश
प्रकाशक: राम जी लाल सोनी, इन्द्रज्ञानादेश
लीपा ने वेबसाइट की सुविधा प्रदान करके एक अनोखा कदम उठाया है। लीपा के इस कदम से लघु एवं मध्यम समाचार पत्रों और पत्रिकाओं को बहुत लाभ मिला है। इस माध्यम से लघु एवं मध्यम समाचार प्रकाशकों को अपने अखबार और पत्रिका को मजबूत करने में मदद मिलेगी। मुझे खुशी है कि अब मेरा समाचारपत्र भी वेबसाइट के माध्यम से ग्लोबल हो गया है। मैंने अपने अखबार इन्द्रज्ञानादेश के लिये http://www.indergyanadesh.com बनवाई और आज मैं 24 घंटे खबरों के कंपटीशन में रहता हूं।
लीपा बहुत अच्छा कार्य कर रही है। पहले हमें डीएवीपी या आरएनआई की किसी गतिविधि का पता नहीं चलता था लेकिन जब से लीपा ने काम करना शुरू किया है हमें पता चलता रहता है कि दिल्ली में क्या चल रहा है। ये अति महत्वपूर्ण सूचनाएं हम तक आसानी से पहुंच जाती हैं। लीपा के आने से देश के दूर क्षेत्रों में अखबार चलाने वाले प्रकाशकों को बहुत फायदा हुआ है।
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