60 साल में मैंने लीपा जैसा बेहतरीन कोई संगठन नहीं देखा: स्वर गंगा

कठिनाई, संघर्ष और सत्य जीवन के सबसे खूबसूरत शब्द है, यही शब्द जब जीवन में चरितार्थ होते है तो निखरने का मौका मिलता है। “लीड इंडिया पब्लिशर्स एसोसिएशन” के सतत प्रयास और रीजनल मीडिया के हित में लगातार जूझने के हौसले ने ही लीपा को विश्वसनीयता की बुलंदियों पर पंहुचाया है। ‘स्वर गंगा’ अखबार के प्रकाशक, 60 साल से ज्यादा मीडिया में कार्य करने का अनुभव रखने वाले श्री आरवाई जाबा जी, जब अपने 80 साल की उम्र में

, लीपा के तीसरे मंजिल के दफ्तर में आते हैं और कहते है मैं महाराष्ट्र से सिर्फ आपसे मिलने के लिए आया हूँ और लीपा के कार्यों से बेहद प्रभावित हूँ, 60 साल में मैंने मीडिया में ऐसा कोई संगठन नहीं देखा जो इतनी नियमितता से कार्य कर रहा हो, तो सारी कठिनाईयां पुरस्कार के समान लगने लगती हैं। उनके साथ आये उनके मित्र श्री पीके वासुदेवन जी जो पिछले 30 वर्षों से डीएवीपी व आरएनआई में कार्य कर रहे है, उन्होंने मुस्कुराते हुए कहा, लीपा का नाम सब लोग लेते है लेकिन आलोचक कहते है हम ज्यादा व्यवहारिक नहीं है हमें खाते खिलाते रहना चाहिए। हमने विनम्रता से उत्तर दिया कि लीपा की व्यवहारिकता यह है की आप जैसे अनुभवी लोग “लीड इंडिया पब्लिशर्स एसोसिएशन” के कार्यालय आते है, और लीपा रीजनल मीडिया के हित में कार्य करने के लिए प्रतिबद्ध है। हम ऐसा इसलिये करते हैं क़्योंकि रीजनल मीडिया सदा ही कमजोर व आमलोगों की आवाज़ बनता है जिसका ज्यादा मुखर होना देश हित में सबसे ज्यादा आवश्यक है। 

Read 1933 times Last modified on Tuesday, 24 January 2017 20:05