प्रेस सेवा पोर्टल और PRGI: प्रिंट मीडिया रजिस्ट्रेशन की पूरी प्रोसेस

Press sewa portal

साल 2023 में भारत में अखबारों और पत्रिकाओं के रजिस्ट्रेशन से जुड़े एक्ट Press and Registration of Books Act, 1867 में एक बड़ा और ऐतिहासिक बदलाव किया गया। संशोधन के बाद  इस 157 साल पुराने कानून का नया नाम Press & Registration of Periodicals Act, 2023 (PRP अधिनियम, 2023 रखा गया।  अब भारत के अन्दर प्रिंट मीडिया यानी समचारपत्र और पत्रिकाओं के रजिस्ट्रेशन इस कानून के तहत किये जाते हैं। 

इस संशोधन का सबसे बड़ा मकसद अखबार रजिस्ट्रेशन की प्रोसेस को आसान और डिजिटल बनाना था।  इसके लिए दो वेबसाईट लॉन्च की गयी। PRGI और प्रेस सेवा पोर्टल। PRGI ने पुरानी वेबसाइट RNI की जगह ली।  लेकिन प्रेस सेवा पोर्टल को प्रोसेस करने के लिए बनाया गया।

तो अगर आपको एक्ट, सर्विसेस और पोलिसी से जुदा सर्च करना है तो https://prgi.gov.in/ पर विजित करना होगा और यदि आप अपना टाइटल रजिस्टर करना है तो प्रेस सेवा पोर्टल पर जाना होगा।

ये काफी यूजर फ्रेंडली वेब साईट है। पुराने कानून Press and Registration of Books Act, 1867 के अनुसार पहले आवेदकों यानी अखबार या पत्रिका चलाने के इच्छुक व्यक्ति को 8 स्टेप में एक लम्बी प्रोसेस करनी होती थी जिसे हटा कर अब अखबारों के रजिस्ट्रेशन को पूरी तरह ऑनलाइन कर दिया गया। आइये समझते हैं।

इसके अलावा अब इसे केवल 2 स्टेप प्रोसेस बना दिया गया है। 

प्रेस सेवा पोर्टल के माध्यम से निम्नलिखित सेवाएं ऑनलाइन पूरी की जा सकती हैं:

* किसी भी नए अखबार या पत्रिका का “रजिस्ट्रेशन आवेदन”

* “विदेशी प्रकाशनों के फेक्सिमाइली एडिशन” का पंजीकरण

* प्रिंटर की सूचना (Intimation by printer) देना

* Ownership Transfer (स्वामित्व परिवर्तन) का आवेदन

* प्रकाशकों द्वारा हर वर्ष जमा की जाने वाली Annual Statement (वार्षिक विवरणी)

* पंजीकरण प्रमाणपत्र (Certificate of Registration) प्राप्त करना

पहले क्या था, अब क्या है?

पहले की स्थिति (PRB Act, 1867)            अब की स्थिति (PRP Act, 2023)             

ऑफलाइन, कागज़ आधारित लंबी प्रक्रिया       पूरी तरह ऑनलाइन प्रक्रिया                  

कई स्तरों पर मंज़ूरी, DM की बड़ी भूमिका     सिर्फ दो-चरणीय प्रक्रिया, DM की भूमिका सीमित

टाइटल क्लियरेंस और रजिस्ट्रेशन में लंबा समय  60 दिनों की समय-सीमा तय                    

सजा के प्रावधान कई मामूली मामलों में भी      अब सिर्फ गंभीर मामलों में दंड             

समय-सीमा और पारदर्शिता

नए कानून में यह प्रावधान किया गया है कि यदि प्रेस सेवा पोर्टल पर ऑनलाइन फॉर्म भरने के बाद जिला मजिस्ट्रेट (DM) 60 दिनों के भीतर प्रतिक्रिया नहीं देता, तो आवेदन स्वतः स्वीकृत मान लिया जाता है। यह बदलाव प्रकाशकों को अनावश्यक देरी से बचाने और प्रशासनिक पारदर्शिता बढ़ाने की दिशा में उठाया गया बड़ा कदम है।

दंड के प्रावधानों में भी बदलाव

पुराने कानून में मामूली त्रुटियों पर भी आपराधिक सजा यानी जेल आदि का प्रावधान था, जबकि PRP अधिनियम, 2023 में ऐसे मामलों में क्रिमिनलाइज़ेशन हटाया गया है। अब केवल गंभीर उल्लंघनों जैसे बिना पंजीकरण के प्रकाशन करने पर ही दंडात्मक कार्रवाई की जाएगी, और बाकी मामलों में सुधारात्मक उपाय अपनाए जाएंगे।

आइये प्रोसेस को स्टेप बाय स्टेप समझते हैं।

Step 1: मालिक (Owner) द्वारा प्रोफाइल बनाना और टाइटल का चयन

सबसे पहले अखबार या पत्रिका के मालिक को Press Sewa Portal पर जाकर साइन अप करना होगा।

प्रोफाइल बनाते समय ज़रूरी दस्तावेज़ और जानकारी अपलोड करनी होगी।

साथ ही, मालिक को 5 प्रस्तावित नाम (टाइटल) देने होंगे, जो पहले से किसी और द्वारा इस्तेमाल न हो।

ये टाइटल PRGI की गाइडलाइंस के अनुसार होने चाहिए।

🔷 Step 2: आवेदन सीधे PRGI और ज़िला अधिकारी तक पहुंचेगा

प्रेस सेवा पोर्टल पर किया गया आवेदन एक साथ दो जगह जाएगा:

PRGI (Press Registrar General of India)

ज़िले की तय की गई अधिकारी संस्था (DM/SDM इत्यादि)

अब किसी दूसरे ऑफिस या पोर्टल पर आवेदन भेजने की जरूरत नहीं है।

🔷 Step 3: मालिक द्वारा प्रकाशक (Publisher) को पोर्टल के माध्यम से आमंत्रित करना

प्रोफाइल बनाने के बाद मालिक को अपने अखबार/पत्रिका से जुड़े प्रकाशकों (Publishers) को पोर्टल के माध्यम से Invite (आमंत्रण) भेजना होगा।

🔷 Step 4: प्रिंटर (Printing Press Owner) का साइन अप करना

जो व्यक्ति या संस्था अखबार/पत्रिका छापेगी (Printer), उसे भी पोर्टल पर जाकर अपना खाता बनाना (Sign Up) होगा।

उसे भी ज़रूरी विवरण अपलोड करने होंगे।

🔷 Step 5: प्रकाशक (Publisher) द्वारा प्रोफाइल बनाना

जिसे मालिक ने Invite किया है, वह प्रकाशक भी प्रेस सेवा पोर्टल पर अपनी प्रोफाइल बनाएगा और ज़रूरी जानकारी जमा करेगा।

🔷 Step 6: प्रकाशक द्वारा प्रिंटर का चयन करना

प्रकाशक को अपनी पत्रिका के लिए एक प्रिंटिंग प्रेस का चयन करना होगा।

अगर वो प्रेस पहले से पोर्टल पर मौजूद है, तो सीधे चयन कर सकते हैं।

अगर नहीं है, तो प्रिंटर को बोलकर प्रोफाइल बनवाना होगा और फिर चयन करना होगा।

Step 7: पंजीकरण का आवेदन करना

प्रकाशक अपनी प्रोफाइल पूरी करने के बाद, रजिस्ट्रेशन के लिए आवेदन करेगा।

इस दौरान वह:

सभी जानकारी भरेगा

ज़रूरी दस्तावेज़ अपलोड करेगा

e-sign करेगा ( अधर नंबर डालने पर वेरीफाईड होगा)

और 1000 की फीस BharatKosh पोर्टल के माध्यम से जमा करेगा।

Step 8: आवेदन के बाद 5 दिन की करेक्शन विंडो

अगर आवेदन करने में कोई गलती हो जाए तो आवेदन जमा करने के बाद, 5 दिन (120 घंटे) का समय मिलेगा, जिसमें आप माइनर सुधार (minor corrections) कर सकते हैं।

इसके बाद आवेदन में कोई बदलाव नहीं किया जा सकता।

Step 9: एप्लिकेशन रेफरेंस नंबर (ARN) मिलेगा

आवेदन सफलतापूर्वक अपलोड होते ही आपको एक 10-अंकों वाला यूनिक एप्लिकेशन रेफरेंस नंबर (ARN) मिलेगा।

इसी नंबर से आगे की सभी प्रक्रिया और संपर्क किए जाएंगे।

Step 10: आवेदन में कमी हो तो PRGI देगा सूचना

अगर आवेदन में कोई गलती या कमी मिली, तो PRGI आपको ईमेल या पोर्टल के माध्यम से इसकी जानकारी देगा।

उसके बाद आपको 30 दिन के अंदर सुधार करना होगा, नहीं तो आपका आवेदन रद्द कर दिया जाएगा।

 Step 11: 1000 रजिस्ट्रेशन फीस का भुगतान

हर प्रकाशक को अपने रजिस्ट्रेशन के लिए 1000 की फीस Bharatkosh ऑनलाइन पेमेंट सिस्टम से भरनी होगी।

यह सुविधा प्रेस सेवा पोर्टल के अंदर ही उपलब्ध है।

संक्षेप में प्रक्रिया (Quick Recap):

1       मालिक प्रोफाइल बनाए, टाइटल चुनें

2       आवेदन PRGI और जिला अधिकारी को साथ जाए

3       मालिक प्रकाशक को Invite करें

4       प्रिंटर पोर्टल पर साइन अप करे

5       प्रकाशक प्रोफाइल बनाए

6       प्रकाशक प्रिंटर को चयनित करे

7       प्रकाशक आवेदन भरे, e-sign करे और फीस भरे

8       5 दिन की करेक्शन विंडो

9       यूनिक एप्लिकेशन नंबर मिलेगा

10      PRGI द्वारा गलती मिलने पर 30 दिन में सुधार

11      1000 की रजिस्ट्रेशन फीस Bharatkosh से जमा करें

निष्कर्ष

प्रेस सेवा पोर्टल और PRGI की यह व्यवस्था न केवल प्रक्रिया को आसान बनाती है, बल्कि यह डिजिटल इंडिया और मीडिया पारदर्शिता  की दिशा में एक ठोस कदम है। अब नए प्रकाशकों को सरकारी दफ्तरों के चक्कर नहीं लगाने पड़ेंगे, और पूरी प्रक्रिया पारदर्शिता के साथ 60 दिन में निपटाई जा सकेगी।