नई दिल्ली॥ की दायरे में आये 45 हजार से अधिक प्रसार वाले और अन्य वजहों से डीपैनल हुए अखबारों को डीएवीपी में अपनी स्थिति जानने के लिये अभी और इंतजार करना होगा।
डीएवापी का साफ कहना है कि अभी कोई लिस्ट नही जारी होगी। डीएवीपी के पास इन अखबारों के लिये ना तो कोई आदेश है ना ही लिस्ट जारी करने की कोई निश्चित तारीख।
गौरतलब है कि ऐसे अखबारों की संख्या 2 हजार से अधिक है जिन्हे डीपैनल किया गया है या फिर वो आरएनआई के जांच के दायरे में हैं। डीएवीपी के अधिकारिक सूत्रों का कहना है कि इन अखबारों को पुन: पैनल पर लाने की सूची जारी करने में अभी देरी होगी। देरी की वजह स्टाफ का कम होना बताया जा रहा है। उनका कहना है कि उनके पास 2000 से भी अधिक फाइल्स हैं और 2 से 3 स्टाफ है। डीएवीपी ने यह भी कहा है कि जांच के दायरे में आये अखबारों की उन्होंने आरएनआई से जानकारी मांगी है। इस प्रक्रिया में जितनी देरी होगी उतनी ही देरी लिस्ट जारी होने में लगेगी।
इतना ही नहीं अगस्त 2016 और फरवरी 2017 में फ्रेश आवेदनों पर विचार करने के लिये अभी तक पीएसी गठित नहीं की गई है। 1 अगस्त 2017 से फ्रेश इम्पैनलमेंट भी शुरू हो जाएंगे। ऐसे में अखबारों को फिर दुविधा का सामना करना होगा कि वो फ्रेश आवेदन करें या पिछले का इंतजार।
इस स्थिति से कम प्रसार वाले अखबारों को समस्या का सामना करना पड़ रहा है। मध्यम और लघु कैटेगरी में दर्ज कई अखबार घोर आर्थिक संकट से जूझ रहे हैं। सरकार इस विषय पर चुप्पी साधे है। जीएसटी और नई विज्ञापन नीति के चलते आये नियम परिवर्तन प्रकाशको की दुविधा और बढा रहे है।