“60 के दशक में जब अंतरिक्ष कार्यक्रम की शुरूआत हुई थी, तब अनेकों को यह सब कर पाना असंभव लगता होगा। परंतु हम और हमारे अनेक साथी, इस परिकल्पना को उचित ही नहीं संभव भी मानते थे। इससे एक ऐसे मिशन ने जन्म लिया जिसके हम सभी भागीदार थे। हमारे संस्थान इसरो का हर व्यक्ति यह विश्वास करने लगा कि उसका जन्म इस मिशन को साकार कर के अंतरिक्ष तकनीकी द्वारा देश तथा उसकी जनता का हित साधन करने के लिये
हुआ है।” पूर्व राष्ट्रपति, वैज्ञानिक, डॉ0 एपीजे कलाम के ये शब्द पढ़ते हुए मन सुखद अनुभूती और उत्साह से भर गया।
लीपा का मिशन वेबसाइट भी एक ऐसा ही सपना है। हम उस परिकल्पना में जीते हैं जब रीजनल मीडिया भी पूरी तरह डिजिटल हो जाएगा। देश में आरएनआई में वर्तमान में 99660 अखबार पंजीकृत हैं उनमें से मुश्किल से 20 हजार अखबार ही आप डिजिटल रूप में देखते होंगे। इसी तरह लीपा में देश भर से 7 हजार से ऊपर अखबार सदस्य हैं और 2010 से अब तक उन अखबारों को डिजिटल करने का कार्य जारी है लेकिन अभी भी बहुत से सदस्य वेबसाइट पर आने बाकी हैं। तकनीकी समस्याओं, स्टाफ की समस्या, अर्थतंत्र के कारण लीपा को भी लगातार आर्थिक चुनौतियों से जूझना पड़ता है। लेकिन लीपा के मिशन से जुड़ा टीम का हर सदस्य इस बात पर विश्वास करता है कि उसका जन्म रीजनल मीडिया के डिजिटलाइजेशन के माध्यम से उसके उत्थान और तरक्की का मार्ग प्रशस्त कर लोक तंत्र के सच्चे प्रहरी रीजनल मीडिया के हित में काम करने के लिये हुआ है।
आज जब आप अपने क्षेत्र की किसी बड़ी घटना की कवरेज बड़े लेवल पर चलने वाले प्रिंट या टीवी मीडिया पर नहीं देखते तो अपने अखबार के सर्कुलेशन की बाध्यता पर मलाल होता है, इसके अलावा हमेशा रीजनल मीडिया के पास स्थानीय स्तर के बड़े भ्रष्टाचार की खबर होती है जिसे वो अपनी जान का खतरा मोल लेकर भी अपने अखबार में छापते हैं और भ्रष्ट अधिकारी और माफिया उन्हें आंखे दिखाते हैं क्योंकि उनकी खबर का तो बड़ॆ स्तर पर असर ही नहीं हुआ होता। ऐसे में हमारे अखबार की वेबसाइट हमारे अखबार की ई-प्रति या वीडियो कवरेज हमारी खबर को बड़े स्तर पर पहुँचाने की क्षमता दे देती है। उसकी ई-क्लिपिंग सम्बन्धित मंत्रालय में भेज कर त्वरित कार्रावाई की उम्मीद की जा सकती है। इसमें हमारे अखबार की पीरियोडिसिटी भी बाध्यता नहीं बनेगी, हर मिनट हर घंटे का अपडॆट वेबसाइट के माध्यम से ब्रेक किया जा सकता है।
इसके अलावा लीपा यह विश्वास करती है कि डिजिटलाइजेशन से रीजनल मीडिया अपनी साख पुर्नस्थापित करेगा, अखबार छापने के लिये जरूरी एड और पैसे के लिये याचक नहीं बनेगा। जो लिखेंगे डंके की चोट पर अपनी वेबसाइट पर प्रकाशित कर सकेंगे।
कल्पना किजिये जब देश के छोटे से छोटे गाँव और कस्बे की खबर तुरंत वेबप्रिंट या डिजिटल शेप यानि वीडियो के रूप में ब्रेक की जा रही होगी उस खबर का कितना व्यापक असर होगा इसका अन्दाजा लगाया जा सकता है।
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