समय से विज्ञापन का बिल न चुकाया तो देना पड़ेगा ब्याज

प्रेस काउंसिल ऑफ इंडिया (पीसीआई) के चेयरमैन मार्कंडेय काटजू ने केंद्र/राज्य सरकारों, संघ शासित प्रदेशों और विधिक प्राधिकरणों (स्टैचुअरी अथॉरिटीज़) को एक पत्र जारी कर कहा है कि सरकारी विज्ञापनों/नोटिसों के प्रकाशन की तारीख से एक महीने के भीतर अखबार प्रबंधनों को पेमेंट दिया जाए।.

ऐसा नहीं करने की सूरत में पेमेंट समेत उस पर 12 फीसदी ब्याज भी देना होगा। पीसीआई के माननीय

अध्यक्ष का यह निर्देश स्वागतयोग्य है। मझौले एवं लघु समाचार पत्रों के लिए सरकारी विज्ञापनों का समयबद्ध भुगतान नितांत जरूरी है। यह विज्ञापन पत्र-पत्रिकाओं की रीढ होते हैं। 

पत्र में पीसीआई की कमिटी के सामने आए एक मामले का जिक्र किया गया है। बताया गया है कि 1997 में एक अखबार में प्रकाशित विज्ञापन का डीएवीपी ने आज तक भुगतान नहीं किया है। कहा गया है कि धनराशि ब्याज के चलते हर 7 साल में दोगुना हो जाती है। बताया गया है कि अगर सरकार को 1997 में 100 रुपये का भुगतान करना था और वह ऐसा नहीं करती तो वह राशि 2004 में 200 और 2011 में 400 रुपये हो जाएगी।

(लेखक दैनिक रोज़ानासमाचार पत्र समूह के प्रधान सम्पादक तथा इंडियन एशोसियशन ऑफ प्रेस-एन-मीडियामैन के राष्ट्रीय महासचिव हैं)

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