Under Section 19(D) of the Press and Registration of Books Act 1867(PRB Act) the annual statement is to be submitted by all publishers of registered publications before 31st May of each year in the Proforma (form II) prescribed under the Registration of Newspapers (Central) Rules, 1956.
Failure to submit the Annual statement is punishable with fine, which may extend to Rs. 500/- under Section 19(K) of the PRB Act. Section 14 of the said Act also provides that any publisher making a false statement on conviction before a Magistrate, may be punished by fine up to Rs. 2000/- and imprisonment for a term, which may extend to six months.
एनुअल स्टेटमेंट जमा करना हर प्रकाशक की ड्यूटी: आरएनआई
आरएनआई में इस वर्ष एनुअल स्टेटमेंट जमा करने की प्रक्रिया 1 अप्रैल से शुरू हो चुकी है। पीआरबी एक्ट 1867 की धारा 19 (डी) के अंर्तगत प्रत्येक समाचारपत्र प्रकाशक को अपना वार्षिक ब्यौरा आरएनआई को देना अनिवार्य होता है।
यदि कोई सामाचारपत्र/पत्रिका अपना वार्षिक विवरण नहीं जमा करता है तो पीआरबी एक्ट 1867 की धारा 19 (के) अंर्तगत प्रकाशक पर 500 रू का जुर्माना लगाया जाता है। साथ ही गलत विवरण देने पर 2000 रू. का जुर्माना लगाया जाता है।
यह प्रक्रिया अब केवल आरएनआई की साइट पर ऑनलाइन फॉर्म भर कर पूरी की जाती है। वर्ष 2015 के बाद से आरएनआई में वार्षिक विवरण या एनुअल स्टेटमेंट की हार्ड कॉपी नहीं जमा करवाई जाती है। ऑनलाइन ई-फाइलिंग की प्रक्रिया वर्ष में केवल एक बार होती है जो 31 मई तक चलती है।
देश में 1 लाख से अधिक अखबार और पत्रिकाएं चलती हैं, अत: ई-फाइलिंग की प्रक्रिया जल्द से जल्द पूरी करनी चाहिये अन्यथा बाद में आरएनआई की साइट पर तकनीकी जटिलताओं का सामना करना पड़ सकता है।
आरएनआई में ई-फाइलिंग या तो बहुत सावधानी से करें अथवा किसी एक्सपर्ट से ही ई-फाइलिंग करावायें, क्योंकि इसी के आधार ही डीएवीपी में विज्ञापन के लिये सूचिबद्धता हेतु आवेदन किया जा सकता है। डीएवीपी यही से सारा विवरण मैच करता है। यदि विवरण में कोई मिसमैच होता है अखबार या पत्रिका डीएवीपी की आवेदन प्रक्रिया से ही बाहर हो जाता है।
लीड इंडिया पब्लिशर्स एसोसिएशन तकनीकी व दस्तावेजी सहायता के अंर्तगत प्रत्येक वर्ष आरएनआई में ई-फाइलिंग में सहायता करती है। वर्ष 2014 में जब आरएनआई ने ई-फाइलिंग की प्रक्रिया शुरू की थी तब केवल 8 से 10 हजार प्रकाशकों ने ही ई-फाइलिंग की थी। वर्ष 2015 में लीपा के प्रयासो से यह संख्या 20,000 पर पहुंची। इन 20,000 प्रकाशकों में लीपा के करीबन 5000 हजार जागरूक सदस्य शामिल हैं। वर्ष 2015-16 में यह आंकड़ा 27,445 पर पहुंचा है। लीपा की अपील है कि सभी सदस्य अपने अखबार का वार्षिक विवरण अवश्य जमा करवायें अन्यथा भविष्य में उनका टाइटिल ब्लॉक होने की संभावना रहेगी।
Read 639 times last modified on Friday, 14 April 2017 15:01