डीएवीपी इम्पैनलमेंट के लिये क्लॉज़-8 जानना जरुरी

अखबार की पारम्परिक आय के केवल दो ही स्रोत होते हैं, एक सरकारी विज्ञापन और दूसरा निजि क्षेत्र के विज्ञापन। सरकारी विज्ञापन लेने के लिये डीएवीपी इम्पैनलमेंट करवाना अनिवार्य होता है। वर्ष में दो बार देश भर से सैकड़ो अखबार डीएवीपी के लिये आवेदन भरते हैं लेकिन उनके अखबार को बार-बार रिजेक्शन का सामना करना पड़ता है। उनमें ज्यादातर अखबार क्लॉज़ 8 के कारण

रिजेक्ट किये जाते हैं। यदि हम क्लॉज़-8 का पालन करके अपने अखबार का डीएवीपी आवेदन दें तो उनका अखबार नि:श्चित ही सूचिबद्ध हो जाएगा। यहां हम विस्तार से बता रहें हैं कि क्लॉज़-8 क्या है। 

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क़्या है क्लॉज़-8: 

1- समाचार स्रोत की जानकारी: ज्यादातर अखबार अपने समाचारपत्रों में समाचार का स्रोत नहीं देते जबकि यह डीएवीपी के लिये अनिवार्य शर्त है। अत: समाचार देते वक्त आप इसमें समाचार एजेंसी तथा संवाददाता का नाम मेंशन करें। 

2- पुनरावृत्ति (रिपिटेशन): इसमें अन्य अंको से समाचार सामग्री अथवा लेखों की पुनरावृत्ति नहीं होनी चाहिए। ज्यादातर साप्ताहिक, पाक्षिक अथवा मासिक पत्र/पत्रिकाओं में समाचार/लेख की पुनरावृत्ति देखी जाती है। अपने ही अखबार में प्रकाशित लेख को फिलर के लिये पुन: प्रकाशित ना करें। 

3- रिप्रोडक्शन, अन्य समाचारपत्र/पत्रिकाओं से ना ले लेख: इसमें अन्य पत्र- पत्रिकाओं से लिये समाचार सामग्री अथवा लेखों की पुनरावृत्ति नहीं होनी चाहिए। कई बार देखने में आता है कि किसी दैनिक या अन्य अखबार में छपे लेख अथवा खबर को हम अपने दैनिक, साप्ताहिक, पाक्षिक या मासिक में ठीक वैसे ही छाप देते हैं जो डीएवीपी इम्पैनलमेंट में रिजेक्शन का कारण बनता है। 

4-  कॉपी/पेस्ट: मुद्रित सामग्री तथा फोटोग्राफ सुपाठ्य, स्वच्छ व स्पष्ट हो तथा धब्बे, दोहरी छपाई और काट-छांट से रहित होनी चाहिए। 

5-  स्मगी फोटो/पूअर प्रिंटिंग: कई बार जगह भरने के लिये पेज मेकिंग करने वाले ऑपरेटर छोटे फोटो को फैलाकर स्पेस भरने की कोशिश करते हैं, जिसके कारण फोटो प्रिंटिंग में खराब हो जाता है। अत: हमेशा फोटो हाई रिजोल्युशन का लें। पूअर प्रिंटिंग में ज्यादा योगदान डिजाइनिंग का होता है यदि हम पेज मेकिंग के समय डिजाइनिंग और पर्फेक्शन पर ध्यान रखें तो सस्ते कागज पर भी सही आउटपुट लिया जा सकता है। हमें ध्यान रखना होगा कि प्रिंट के लिये लिया गया कागज सीला हुआ यानि नमी खाया हुआ ना हो। 

डीएवीपी में जब अखबार सूचिबद्धता के लिये आवेदन देतें है तब एक कमिटी जिसमें भाषा विद्वान, विषय विषेशज्ञ आदि शामिल होते हैं वो रिपिटेशन, रिप्रोडक्शन, और क़ॉपी पेस्ट जैसे आधार देख कर एक सूची बनाते हैं और वो सूची पीएसी को सौंपते हैं। पीएसी अपने विवेकाधिकार से अखबारों को सूचिबद्ध करने के लिये संस्तुति करती है। 

ध्यान रखें ये बातें भी 

1- इसके मुखपत्र पर समाचारपत्र का शीर्षक (मास्टहैड) और प्रकाशन का स्थान, तिथि तथा दिन मुद्रित होना चाहिए, इसमें भारतीय समाचारपत्रों के पंजीयक के कार्यालय की पंजीकरण संख्या, खण्ड एवं अंक संख्या , पृष्ठों की संख्या तथा समाचारपत्र-पत्रिका का मूल्य  भी प्रिंट होना चाहिए। 

2- समाचारपत्र में प्रेस एवं पुस्तक पंजीकरण अधिनियम के अंतर्गत प्रिंट लाइन मुद्रित होनी चाहिए। अन्दर के पृष्ठों में पृष्ठ संख्या, पृष्ठ शीर्षक तथा प्रकाशन तिथि प्रिंट होनी चाहिए। अनेक संस्करणों वाले समाचारपत्रों के लिए प्रकाशन का स्थान भी अन्दर के पृष्ठों में छपा होना चाहिए। 

3- सभी प्रकाशनों में संपादकीय मुद्रित होना चाहिए। 

4-  पैनलबद्ध होने के लिए वांछित विवरण जैसे समाचारपत्र का आकार, भाषा, आवधिकता, प्रिंट ऐरिया तथा प्रिंटिंग प्रेस आदि का ब्यौरा भी दिया जाना चाहिए। 

5- ई:पेपर- डीएवीपी विभिन्न स्तरों पर अखबार की विश्वसनीयता और उसकी नियमितता को जांचती है जिन अखबारों की अपनी वेबसाइट होती है और वो नियमित रूप से उस पर ई-पेपर डालते है व अपडेट होते हैं उनके इम्पैनल होने के चांसेज कई गुना ज्यादा हो जाते हैं। 

6- प्रत्येक वर्ष मई में आरएनआई में एनुअल स्टेटमेंट अवश्य दाखिल करें। अब यह आरएनआई की वेबसाइट पर केवल ऑनलाइन फाइल होता है। ऑंनलाइन एनुअल स्टेटमेंट फाइल करने के बाद उसकी सॉफ्ट कॉपी अपने कम्प्यूटर में सुरक्षित रखें। डीएवीपी में सूचीबद्धता हेतु आवेदन के लिये यह एक अनिवार्य दस्तावेज है।