मेरी बेबसी पर खामोश था जमाना….कानपुर के प्रकाश का दर्द

प्रिय सथियों ‘लीड इंडिया पब्लिशर्स एसोसिएशन’ का जन्म इसलिये हुआ था कि लघु एवं मध्यम समाचारपत्रों की कठिनाइयों की ओर ना तो सरकार का ध्यान था और ना ही समाचारपत्रों के लिये काम करने वाली विभिन्न संस्थाओ का। ऐसे में अगर प्रकाशक के सामने अनायास कोई परिस्थिति उत्पन्न होती है तो उसका सामना करना उसके लिये बेहद कठिन हो जाता है। जब भी लघु एवं मध्यम समाचारपत्रों को किसी परेशानी का सामना करना पड़ा उन्होंने खुद को अकेले पाया।

 पिछले साल भी एक घटना सामने आई थी जब महाराष्ट्र के एक प्रकाशक को एक्सीडेंट के बाद अपने अखबार को मात्र 30 हजार में बेचना पड़ा था, ताकि इलाज हो सके और अखबार भी जिन्दा रहे। ऐसी  ही विवशता कानपुर के एक प्रकाशक ने महसूस की जब उनका युवा बेटा एक भयानक दुर्घटना का शिकार हो गया। इस दुर्घटना में उनके बेटे को स्पाइन इनजरी हुई जिसके बाद वो अब कुछ भी काम करने से लाचार है। उनके आर्थिक संकट का अन्दाजा लगाना किसी भी प्रकाशक के लिए मुश्किल नहीं है। इस दु:खद कहानी को सभी सदस्यों के सामने रखना हमें जरूरी लगा। लेकिन इस कहानी के हम तक पहुंचने का सफर आपसे बताना भी जरूरी है।

.अपनी स्थापना के साथ ही लीड इंडिया पब्लिशर्स एसोसिएशन ने पब्लिशर्स की सहायता करने का शिद्दत से प्रयास किया। आज ‘लीड इंडिया पब्लिशर्स एसोसिएशन’ के पास हर तरह की समस्याएं आती हैं, जिनका हरसम्भव समाधान किया जाता है। 

प्रकाशकों के सामने सबसे बड़ी समस्या पूंजी की रहती है जिसके लिये उन्हे विज्ञापन पर निर्भर रहना पड़ता है। इसके समाधान के लिये ‘लीड इंडिया पब्लिशर्स एसोसिएशन’ ने दो प्रमुख योजनाओं पर काम करना शुरू किया। पहला विज्ञापन में स्वावलंबन और दूसरा वेबसाइट की सुविधा। विज्ञापन स्वावलंबन के लिये ‘लीड इंडिया पब्लिशर्स एसोसिएशन’ ने सभी सदस्यों के नाम की एक डायरेक्ट्री तैयार की है। इस योजना पर ‘लीड इंडिया पब्लिशर्स एसोसिएशन’ की एजीएम में विस्तार से चर्चा होगी।

दूसरा कदम वेबसाइट के सन्दर्भ में है। वेबसाइट आज के समय में एक ऐसा माध्यम है जिसके द्वारा बेहद कम वार्षिक खर्च में प्रकाशक अपने अखबार को देश के कोने कोने में उपलब्ध करा सकते हैं। लेकिन समस्या यह थी कि वेबसाइट बनवाना बहुत मंहगा है और उसे अपडेट करना बेहद कठिन कार्य था। यही नहीं  मंहगी होने के बाद भी अखबार के उपयुक्त वेबसाइट का अभाव था।

इस समस्या के समाधान के लिये ‘लीड इंडिया पब्लिशर्स एसोसिएशन’ ने एक कंपनी से टाइअप किया और ऐसी वेबसाइट बनवाने की शुरुआत की जो अखबार और समाचार के लिहाज से प्रकाशकों के लिये बेहतर साबित हो सके और उनकी आर्थिक उन्नति में सहायक हो। पिछ्ले साल शुरू हुई इस योजना में कई प्रकाशक वेबसाइट की सुविधा ले चुके हैं और संतुष्ट है।

पिछ्ले साल ही कानपुर से ‘लीड इंडिया पब्लिशर्स एसोसिएशन’ के सदस्य  ने वेबसाइट के लिये बुकिंग कराई। लेकिन वो उसका भुगतान नहीं कर पा रहे थे। जिसके लिये जब उनसे सम्पर्क किया तब उन्होंने अपनी समस्या बताई।

इस विषय को ‘लीड इंडिया पब्लिशर्स एसोसिएशन’ के अध्यक्ष श्री सुभाष सिंह के समक्ष रखा जिस पर श्री सुभाष सिंह ने निर्णय लिया कि कानपुर से प्रकाशक सदस्य के लिये लीपा द्वारा वेबसाइट की सुविधा निशुल्क दी जायेगी। इसके अलावा यदि उन्हें अपडेट के लिये कोई सुविधा की आवश्यकता हो तो वह भी ‘लीड इंडिया पब्लिशर्स एसोसिएशन’ द्वारा निशुल्क प्रदान की जायेगी।

यह किसी एक प्रकाशक की निजी समस्या है लेकिन ऐसी अनेको समस्याये है जो प्रकाशकों का समय समय पर इम्तेहान लेती हैं। यदि ऐसी ही समस्या आप भी महसूस कर रहे  हैं तो आप हमसे शेयर कर सकते हैं।

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LIPA ke vishaya me shri Alop kumar Tiwari ki ray unhe ke shabdo me

Chote akhbaro ki takat-LIPA

LIPA  chote akhbaro ki takat ban ker aage aayi hai,chote akhbaro ko pragati path lane ke liye kam se kam lagat per WEB Site banwaker aage badne ke liye rasta dikhya hai.

Mai gat 24 varso se ‘HUM LOGON KA DESH” Saptahik Samacharpatra ka prakashan kar raha hu gat 3 varsho se mai bahut visham paristhiti se gugar raha hu mere bete ka road accident ho gaya tha aaj 3.5 salo me nuro problem hone se khada nahi ho pa raha hai.

7-8 lakh rupya lagane ke bad gambhir arthik sankat se gugar raha hu is bisam paristhiti me LIPA ne hame sahara dia hamari WEB site www.hamlogonkadesh.com bina koi shulk liye banwaya tatha aage bhi har tarah ki madad ke liye kaha hai mai LIPA ka kin sabdo se abhar vyakt karu mere pas sabd nahi hai.Thanku you LIPA.

Alop Kumar Tiwari

Publisher & Editor

 Hum logon ka desh

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