लीड इंडिया पब्लिशर्स एसोसिएशन ने डीएवीपी में इम्पैनलमेंट के लिये ई-फाइलिंग की सुविधा शुरू की है, जिसके बाद कई दलालों में हड़कम्प मच गया है। लीपा के आने के बाद से देश भर में क्षेत्रीय समाचारपत्रों को एक ऐसा साथी मिला जिस पर वो भरोसा कर सके, और लीपा उस भरोसे को कायम भी रख सकी। आप सभी अवगत हैं कि डीएवीपी में कई दलाल सक्रिय हैं, जो लीपा की तर्ज पर प्रकाशको को नि:शुल्क सेवा देने का दावा कर रहे हैं लेकिन असल में वो
उनका ट्रैप है। कुछ दलाल डीएवीपी में ई-फाइलिंग नि:शुल्क करने का दावा करके लीपा पर आरोप लगा रहे हैं कि लीपा ने दुकान खोल ली है। हम अपने सभी सदस्यों तथा हमसे जुड़े उन सभी क्षेत्रीय समाचारपत्रों के विश्वास का आदर करते हुए बताना चाहते हैं कि इन भ्रमित करने वाली खबरों में ना पड़ॆं।
डीएवीपी में ई-फाइलिंग करके लीपा उन क्षेत्रीय समाचारपत्रों को आर्थिक और मानसिक नुकसान से बचाना चाहती है जो इस तरह के दलाल करते है। ये दलाल पहले फ्री ई-फाइलिंग करके पहले प्रकाशकों का विश्वास जीतते हैं और बाद में उन्हें डीएवीपी पैनल करांने के नाम पर पैसे ऐंठ लेते हैं।
लीपा आज भी कई क्षेत्रों में नि:शुल्क सेवा करती है लेकिन RNI और DAVP में ई-फाइलिंग के लिये नोमिनल फी रखी है, जिसका कारण है कि यह कार्य प्रशिक्षित टीम द्वारा कराया जाता है ताकि ई-फाइलिंग में किसी प्रकार की गलती ना हो। लीपा का स्पष्ट कहना है कि लीपा द्वारा कराई गई ई-फाइलिंग डीएवीपी पैनल कराने की गारंटी नहीं है। परंतु लीपा की एक्सपर्ट टीम सभी डॉक्युमेंट्स चेक करेगी और ईफालिंग जीरो मिस्टेक पर करेगी जिससे अखबार पहली सीढ़ी यांनि आवेदन प्रक्रिया में रद्द नहीं होगा। लीपा ने खुले तौर पर ईफाइलिंग फीस का एलान किया है। जिससे लीपा की नीयत साफ दिखाई देती है।
ईफाइलिंग का मसकसद जहां इस तरह के दलालों से अपने सदस्यों और रीजनल मीडिया को बचाना है वहीं दूसरी ओर उन राज्यों के प्रकाशकों को सहायता करना भी है जो देश की दूरस्थ कोनो में इंटरनेट और बिजली की खराब दशा से जूझ रहे हैं।
लीपा के सदस्य देश भर में हैं, जो बहुत तरह की विषम परिस्थितियों में काम करते हैं। उदाहरण के लिये अंडमान निकोबार, जहां से लीपा स्टेट प्रेसीडेंट तथा आईलैंड न्यूज के प्रकाशक श्री मधुसूदन सरकार लगातार खराब इंटरनेट की स्थिति के विषय में अवगत कराते हैं।
एक और मार्मिक घटना मैं आपसे शेयर करना चाहती हूं, पिछले साल लीपा के हेल्प लाइन नम्बर पर असम से एक फोन आता था, जिसके प्रकाशक कैंसर की गम्भीर स्थिति से जूझ रहे थे। टेक्निकल नॉलिज और खराब इंटरनेट कंडीशन के कारण उन्होंने दलाल के माध्यम से ई-फाइलिंग कराई, जिनसे उस दलाल ने लाख रूपये ठग लिये। उनकी पत्नी ने हमसे कहा कि यदि इस बार हमारा डीएवीपी नहीं हुआ तो शायद ये सदमे से ही मर जाएं। इसके बाद लीपा ने उन्हें भरोसा दिलाया, उनके डॉक्युमेंट चेक किये और अगली बार फिर से आवेदन करवाया। फिलहाल वो पैनल पर हैं। हमें दुख है कि इतने आर्थिक संकट में दलाल ने उनका पैसा ठगा और हम कुछ नहीं कर सके। लीपा अब इस घटना की पुनरावृत्ति नहीं चाहती।
लीपा के आने के बाद से बीते 6 वर्षों में चल रही दलालो की अन्धी कमाई पर काफी फर्क पड़ा। लीपा निस्वार्थ भाव से काम करती रही। अत: ये दलाल लगातार लीपा के खिलाफ बोलते रहे, लेकिन इन्हें कभी कोई मौका नहीं मिला जहां ये लीपा को गलत साबित कर सके हों।
अभी भी लीपा कई चीजों में निशुल्क सेवा कर रही है जिसमें इनका लूट का धन्धा मन्दा पड़ रहा है लेकिन डीएवीपी ई-फालिंग से शायद इनका धन्धा पूरी तरह बन्द हो जाएगा।
Read 6279 times Last modified on Tuesday, 24 January 2017 19:42