बीते कई सालों में भारत में पत्रकारों के साथ हिंसा और हमलों के मामले तेजी से बढे हैं। हाल ही में रांची के अस्पताल में टीवी पत्रकार बैजनाथ महतो गंभीर हालत में भर्ती हैं। जबकि 3 दिन बीत जाने के बाद भी हमलावर पुलिस की गिरफ्त से बाहर हैं। लीड इण्डिया पब्लिशर्स एसोसिएशन के अध्यक्ष सुभाष सिंह ने पत्रकार पर हुए इस हमले की कड़ी निंदा की है साथ ही उन्होंने इस सम्बन्ध में प्रधानमंत्री और सूचना प्रसारण मंत्री को “पत्रकार सुरक्षा क़ानून” से सम्बंधित लीपा की अनुशंसा सौंपी है।
ये एक बड़ी चिंता की बात है कि भारत अब पत्रकारों के लिहाज से ज़रा भी सुरक्षित नहीं है। 180 देशों के ‘विश्व प्रेस स्वतंत्रता सूचकांक’ में भारत का नंबर 142वां है। साल 2020 में भी भारत इसी रैंकिंग पर था। बीते एक साल में पत्रकारों के लिए कुछ नहीं किया गया। शर्म की बात तो ये है पत्रकारों की सुरक्षा के लिहाज से तो पाकिस्तान भी हमसे एक पायदान ऊपर है। पड़ोसी देशों में भारत की अपेक्षा पत्रकार ज्यादा सुरक्षित हैं। इस रैंकिंग में नेपाल 106, श्रीलंका 127 और भूटान को 65वे स्थान पर है।
हालांकि पत्रकार बैजनाथ महतो पर हमले का मामला अब तूल पकड़ रहा है। पत्रकार पर हमले को शासन के लिए चुनौती बताते हुए रांची से सांसद संजय सेठ ने भी झारखंड के मुख्यमंत्री को इस सम्बन्ध में पत्र लिखा है। अपने पत्र में उन्होंने बैजनाथ महतो के बेहतर ईलाज के लिए एयर एंबुलेंस की व्यवस्था की बात लिखी है। मुख्यमंत्री श्री हेमंत सोरेन बैजनाथ महतो के हमलावरों को अविलंब गिरफ्तार किए जाने की मांग की है।
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