लीपा गठित करेगी पत्रकारों के हित लिये ‘जर्नलिस्ट प्रोटेक्शन कमिटी’

“लीड इंडिया पब्लिशर्स एसोसिएशन’ क्षेत्रिय समाचारपत्रों के सम्मान और आर्थिक उत्थान के लिये कार्य कर रही है। अपने 7000 सदस्यों के सुख दु:ख के लिये लीपा सदैव तत्पर है। लीपा की स्थापना क्षेत्रिय समाचारपत्र प्रकाशकों की सहायता के लिये की गई थी। लीपा की बायलॉज के 4एफ में स्पष्ट वर्णित है कि लीपा “जर्नलिस्ट प्रोटेक्शन” और “फ्री प्रेस” के लिये कार्य करेगी। यही वजह

कि लीपा पत्रकारों के मुद्दे पर भी हमेशा मुखर रही है।.

चाहे बात आईबीएन7 के पत्रकारों और कैमरा पर्सन पर हमले की हो या छटनी के नाम पर पत्रकारों को नौकरी से निकालने की लीपा ने उनके हित की बात को बड़े व सार्वजनिक मंचो तक पहुंचाया। अब लीपा इस विषय पर औपचारिक रूप से कार्य शुरू करने जा रही है। आज भारतीय ‘मीडिया कर्मचारी’ की दशा असंगठित क्षेत्र के मजदूर से भी बदत्तर हो गई है। 

दुनिया के सबसे बड़े लोकतंत्र, भारत में संविधान प्रदत्त जिन अधिकारों पर सबसे अधिक गर्व किया जाता है वो है मौलिक अधिकार। मीडिया में इस विषय पर बड़ी-बड़ी बाते की जाती हैं लेकिन जब पत्रकारों के अपने मौलिक अधिकारों पर हमला होता है तो यह अधिकार बौने दिखाई पड़ते हैं। 

हम आये दिन सुनते हैं कि प्रिंट और टीवी मीडिया संस्थानों में बड़े स्तर पर छटनी की जाती है। कई बार शॉर्ट नोटिस पर और कई बार अचानक संवाददातओं/पत्रकारों को नौकरी से निकाल दिया जाता है। बीते दिनों आईबीएन 7 और भास्कर जैसे बड़ॆ प्रिंट और टीवी मीडिया में हुई छटनी के बाद कई संवाददाता और संपादक सड़क पर आ गये, उनके रोजगार छीन लिये गये। अब यह काम सरकारी मीडिया यानि डीडी न्यूज में हो रहा है।

अधिकारियों की मनमानी के नाम पर कई संवाददाताओं और एंकर्स को नौकरी से निकाल दिया गया है और कई को निकाले जाने के रूपरेखा तैयार है। दूरदर्शन में काम करने वाले ज्यादातर मीडिया प्रोफेशनल्स संविदा पर नियुक्त किये जाते हैं, जिनसे कॉंट्रेक्ट बेस पर काम लिया जाता है। लेकिन पिछले चार वर्षों से ज्यादातर कर्मचारियों का कॉंट्रेक्ट रिन्यू नहीं किया गया, कुछ कर्मचारियों को 4 या 6 महीने का कांट्रेक्ट दिया गया। नियमो की धज्जियां उड़ाते हुए दिल्ली दूरदर्शन में सैकड़ों कर्मचारियों से बिना किसी कांट्रेक्ट के काम लिया जा रहा है। ये मीडिया प्रोफेशनल्स लगभग 10–12 वर्षो से दूरदर्शन को अपनी सेवायें दे रहे थे। लेकिन अचानक पिछले 3 महीनों में कई मीडिया प्रोफेशनल्स को बिना किसी कारण नौकरी से निकाल दिया गया। ज्यादातर मीडिया कर्मचारी अधिकारियों के पिक एंड चूज़ पॉलिसी के चलते बाहर कर दिये गये।

30 जून 2015 को कांट्रेक्ट समाप्त होने पर बड़ी संख्या में फिर मीडिया प्रोफेशनल्स को नौकरी से निकाला जायेगा। ऐसे में इन कर्मचारियों के पास कोई विकल्प नहीं है।

डीडी न्यूज में अधिकारियों की कई तरह की अनियमिततायें जारी हैं। इतना ही नहीं प्रसार भारती की 2009 की पॉलिसी के मुताबिक वेतनमान वृद्धि की बात कही जाने के बावजूद भी कर्मचारियों के वेतन नहीं बढाये गये। डीडी न्यूज में हो रही छटनी वेतन वृद्धि की मांग का भी नतीजा बताई जा रही है। संविदा पर कार्यरत मीडिया कर्मियों की छटनी नई एंट्री करने के लिये की जा रही है।

ऐसे में संविदा पर काम कर रहे कर्मचारी मानसिक और आर्थिक तनाव से झूझ रहे हैं। जरा सोच कर दिखिये कि आप ऑफिस जाने के लिये तैयार होते हैं, आप काम पर जाते हैं लेकिन आपको ये भरोसा नही हैं कि कल ये काम आपके पास रहेगा या आपको नौकरी से निकाल दिया जायेगा। सोच कर देखिये ऐसे कर्मचारी की मन:दशा क्या होती होगी। छटनी के नाम पर निकाले गये और निकाले जाने वाले मीडिया प्रोफेशनल्स ने ‘लीड इंडिया पब्लिशर्स एसोसिएशन से उनके अधिकारों के हनन के खिलाफ आवाज उठाने के लिये कहा है।

‘लीड इडिया पब्लिशर्स एसोसिएशन’ शुरू से ही मीडिया की आजादी उसकी निष्पक्षता को बनाये रखने के लिये काम कर रही है। लीपा ने रीजनल मीडिया प्रकाशकों की सहायता के क्षेत्र में कई कार्य किये हैं। अन्य मीडिया संस्थानों के कार्यरत और छटनी कर अन्याय का शिकार हुये संवाददाता और संपादक लगातार हमसे इस विषय पर ठोस कार्यवाई की चर्चा कर रहे हैं।

“लीड इडिया पब्लिशर्स एसोसिएशन” की गवर्निंग बॉडी ने निर्णय किया है कि वो (पत्रकारों के हितों की रक्षा के लिये लड़ाई लड़ेगी। इसके लिये “लीड इडिया पब्लिशर्स एसोसिएशन” एक समिति का गठन करेगी जिसका नाम “लीपा जर्नलिस्ट प्रोटेक्शन कमिटी” (लीपा पत्रकार सुरक्षा समिति”) रखा गया है। इस समिति के अध्यक्ष सुप्रीम कोर्ट के रिटायर्ड जस्टिस होंगे। इस समिति के माध्यम से अन्याय और शोषण के शिकार पत्रकार शामिल हो कर बड़े से बड़े संस्थान या सरकार के समक्ष अपने हितों की आवाज़ उठा सकेंगे। “लीड इडिया पब्लिशर्स एसोसिएशन” वादा करती है कि इस लड़ाई में वो पत्रकार बन्धुओं को पूर्ण समर्थन देगी।

Read 18208 times Last modified on Tuesday, 24 January 2017 19:50